ऋणमोचक मंगल स्तोत्र मंगल देव को समर्पित एक शक्तिशाली भक्ति भजन है, जो कर्ज से मुक्ति, आर्थिक स्थिरता और आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है। यह स्तोत्र मंगल ग्रह के 21 नामों का उल्लेख करता है और हनुमान जी से भी जुड़ा है, जो सभी प्रकार की परेशानियों को दूर करते हैं। इस लेख में हम आपको ऋणमोचक मंगल स्तोत्र के नियम, लाभ, और जाप की विधि के बारे में विस्तार से बताएंगे, ताकि आप इसे सही तरीके से पढ़ सकें और इसके पूर्ण लाभ प्राप्त कर सकें।
ऋणमोचक मंगल स्तोत्र क्या है?
ऋणमोचक मंगल स्तोत्र एक संस्कृत भजन है, जो मंगल देव (मंगल ग्रह) की स्तुति करता है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयोगी है जो वित्तीय कर्ज, आध्यात्मिक बाधाओं, या मानसिक तनाव से मुक्ति चाहते हैं। इस स्तोत्र में मंगल देव के 21 नाम शामिल हैं, जैसे मंगल, भूमिपुत्र, ऋणहर्ता, और धनप्रद। नियमित और श्रद्धापूर्ण पाठ से व्यक्ति कर्ज से मुक्त होकर धन-धान्य और स्वास्थ्य प्राप्त कर सकता है।
ऋणमोचक मंगल स्तोत्र के नियम
ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ करने के लिए निम्नलिखित नियमों का पालन करें:
- शुभ तिथि चुनें: मंगलवार, विशेष रूप से शुक्ल पक्ष का मंगलवार, पाठ के लिए सबसे शुभ माना जाता है। मंगल होरा (मंगल ग्रह का शुभ समय) में पाठ करने से लाभ बढ़ता है।
- स्नान और शुद्धि: प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें और साफ, अधिमानतः लाल वस्त्र पहनें, क्योंकि लाल रंग मंगल ग्रह का प्रतीक है।
- पूजा स्थान तैयार करें:
- एक शांत और स्वच्छ स्थान चुनें।
- पूजा स्थल पर लाल कपड़ा बिछाएं।
- हनुमान जी या मंगल देव की मूर्ति/चित्र स्थापित करें।
- दीपक, धूप, और फूल अर्पित करें।
- पूजा और जाप:
- गणेश जी और हनुमान जी की पूजा पहले करें।
- कम से कम 11 बार स्तोत्र का पाठ करें। यदि संभव हो, तो 21 या 108 बार जाप करें।
- पाठ के दौरान एकाग्रता बनाए रखें और प्रत्येक श्लोक के अर्थ पर ध्यान दें।
- प्रसाद: पाठ के बाद गुड़, लाल मिठाई, या लाल फूल चढ़ाएं। प्रसाद को परिवार में बांटें।
- नियमितता: सर्वोत्तम परिणामों के लिए हर मंगलवार या रोजाना पाठ करें।
टिप: यदि आप संस्कृत नहीं जानते, तो हिंदी अनुवाद या ऑडियो रिकॉर्डिंग का उपयोग करें, लेकिन श्रद्धा और एकाग्रता बनाए रखें।
ऋणमोचक मंगल स्तोत्र की जाप विधि
यहां जाप की सरल और विस्तृत विधि दी गई है:
- तैयारी: शांत स्थान पर बैठें। पूजा स्थल को साफ करें और लाल कपड़ा बिछाएं।
- शुद्धि: हाथ-मुंह धोकर शुद्ध हो जाएं। लाल वस्त्र पहनें।
- मानसिक तैयारी: मन को शांत करें और कर्ज मुक्ति या आध्यात्मिक शांति की प्रार्थना करें।
- जाप शुरू करें:
- “ॐ गं गणपतये नमः” का 3 बार जाप करें।
- “ॐ हनुमते नमः” का 11 बार जाप करें।
- इसके बाद ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ शुरू करें।
- एकाग्रता: प्रत्येक श्लोक को ध्यानपूर्वक पढ़ें और मंगल देव की कृपा की कल्पना करें।
- प्रसाद (वैकल्पिक): फूल, धूप, या दीपक चढ़ाएं।
- समापन: पाठ के बाद मंगल देव और हनुमान जी को धन्यवाद दें। कुछ क्षण मौन में बिताएं।
- नियमित अभ्यास: रोजाना या मंगलवार को पाठ करें। मंगल होरा में जाप विशेष रूप से प्रभावी है।
ऋणमोचक मंगल स्तोत्र के लाभ
- कर्ज से मुक्ति: नियमित पाठ से वित्तीय कर्ज और आध्यात्मिक बाधाएं दूर होती हैं।
- धन-धान्य की प्राप्ति: मंगल देव की कृपा से धन और समृद्धि प्राप्त होती है।
- स्वास्थ्य और शांति: यह स्तोत्र रोगों और मानसिक तनाव को दूर करता है।
- युवा शक्ति: पाठ करने वाला व्यक्ति ऊर्जावान और स्वस्थ रहता है।
- सभी इच्छाओं की पूर्ति: मंगल देव सभी कामनाओं को पूरा करते हैं।
- शत्रुओं से सुरक्षा: यह स्तोत्र शत्रुओं और बाधाओं से रक्षा करता है।

ऋणमोचक मंगल स्तोत्र और इसका अर्थ
नीचे दिए गए श्लोक और उनके अर्थ हैं, जो मंगल देव के 21 नामों को दर्शाते हैं:
श्लोक 1:
मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः।
स्थिरासनो महाकायः सर्वकर्मविरोधकः॥
अर्थ: मंगल देव, आप भूमिपुत्र (पृथ्वी से जन्मे), ऋणहर्ता (कर्ज दूर करने वाले), धनप्रद (धन देने वाले), स्थिरासन (स्थिर रहने वाले), महाकाय (विशाल शरीर वाले), और सर्वकर्मविरोधक (सभी बाधाएं दूर करने वाले) हैं।
श्लोक 2:
लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः।
धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः॥
अर्थ: आप लोहित (लाल रंग वाले), लोहिताक्ष (लाल आंखों वाले), सामगानां कृपाकर (ब्राह्मणों पर कृपा करने वाले), धरात्मज (पृथ्वी पुत्र), कुज, भौम, भूतिद (ऐश्वर्य देने वाले), और भूमिनंदन (पृथ्वी को आनंदित करने वाले) हैं।
श्लोक 3:
अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः।
व्रुष्टेः कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रदः॥
अर्थ: आप अंगारक (अंगारों जैसे), यम (नियंत्रक), सर्वरोगापहारक (सभी रोग दूर करने वाले), वृष्टिकर्ता (वर्षा करने वाले), वृष्टिहर्ता (अकाल लाने वाले), और सर्वकामफलप्रद (सभी इच्छाएं पूरी करने वाले) हैं।
श्लोक 4:
एतानि कुजनामनि नित्यं यः श्रद्धया पठेत्।
ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्नुयात्॥
अर्थ: जो व्यक्ति इन 21 नामों का श्रद्धा से पाठ करता है, वह कर्ज से मुक्त होकर शीघ्र धन प्राप्त करता है।
श्लोक 5:
धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्।
कुमारं शक्तिहस्तं च मङ्गलं प्रणमाम्यहम्॥
अर्थ: आप पृथ्वी से उत्पन्न, बिजली जैसे चमकदार, शक्ति धारण करने वाले कुमार हैं। मैं आपको प्रणाम करता हूं।
श्लोक 6:
स्तोत्रमङ्गारकस्यैतत्पठनीयं सदा नृभिः।
न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित्॥
अर्थ: इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से मंगलजन्य सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
श्लोक 7:
अङ्गारक महाभाग भगवन्भक्तवत्सल।
त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय॥
अर्थ: हे अंगारक, भक्तों के प्रिय, मैं आपको नमन करता हूं। मेरे सभी कर्ज शीघ्र नष्ट करें।
श्लोक 8:
ऋणरोगादिदारिद्रयं ये चान्ये ह्यपमृत्यवः।
भयक्लेशमनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा॥
अर्थ: मेरे कर्ज, रोग, गरीबी, भय, और मानसिक ताप हमेशा नष्ट हों।
श्लोक 9:
अतिवक्त्र दुरारार्ध्य भोगमुक्त जितात्मनः।
तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुश्टो हरसि तत्ख्शणात्॥
अर्थ: आप कठिनाई से प्रसन्न होते हैं। प्रसन्न होने पर साम्राज्य देते हैं, और क्रोधित होने पर सब छीन लेते हैं।
श्लोक 10:
विरिंचिशक्रविष्णूनां मनुष्याणां तु का कथा।
तेन त्वं सर्वसत्त्वेन ग्रहराजो महाबलः॥
अर्थ: आप ब्रह्मा, इंद्र, और विष्णु को भी प्रभावित करते हैं। आप सबसे शक्तिशाली ग्रहराज हैं।
श्लोक 11:
पुत्रान्देहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गतः।
ऋणदारिद्रयदुःखेन शत्रूणां च भयात्ततः॥
अर्थ: मुझे संतान और धन दें। मैं आपकी शरण में हूं। मुझे कर्ज, गरीबी, और शत्रुओं से मुक्त करें।
श्लोक 12:
एभिर्द्वादशभिः श्लोकैर्यः स्तौति च धरासुतम्।
महतिं श्रियमाप्नोति ह्यपरो धनदो युवा॥
अर्थ: इन 12 श्लोकों से मंगल देव की स्तुति करने वाला धन और यौवन प्राप्त करता है।
॥ इति श्री ऋणमोचक मंगलस्तोत्रम् सम्पूर्णम् ॥
सामान्य गलतियाँ और उनसे बचने के तरीके
- गलत उच्चारण: संस्कृत श्लोकों का गलत उच्चारण प्रभाव को कम कर सकता है। ऑडियो रिकॉर्डिंग सुनकर सही उच्चारण सीखें।
- अनियमितता: अनियमित पाठ से पूर्ण लाभ नहीं मिलता। हर मंगलवार या रोजाना पाठ करें।
- अशुद्ध स्थान: पूजा स्थल साफ और शांत होना चाहिए।
- ध्यान की कमी: जाप के दौरान मोबाइल या अन्य विकर्षणों से बचें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
- क्या महिलाएं ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ कर सकती हैं?
हां, कोई भी व्यक्ति, लिंग या उम्र की परवाह किए बिना, इस स्तोत्र का पाठ कर सकता है, बशर्ते वे श्रद्धा से करें। - क्या मासिक धर्म के दौरान पाठ करना उचित है?
हिंदू परंपराओं में कुछ लोग मासिक धर्म के दौरान पूजा से बचते हैं, लेकिन यह व्यक्तिगत विश्वास पर निर्भर करता है। यदि आप सहज हैं, तो पाठ कर सकते हैं। - कब है पाठ का सबसे अच्छा समय?
मंगलवार को सूर्योदय के समय या मंगल होरा में पाठ सबसे शुभ है। - कितने दिन में परिणाम दिखते हैं?
नियमित और श्रद्धापूर्ण पाठ से 21–40 दिनों में सकारात्मक बदलाव दिख सकते हैं, लेकिन यह भक्ति और कर्म पर निर्भर करता है। - क्या ऑडियो सुनना पर्याप्त है?
ऑडियो सुनना सहायक है, लेकिन स्वयं पाठ करने से अधिक लाभ मिलता है।
मंगल देव के 21 नाम
ऋणमोचक मंगल स्तोत्र में मंगल ग्रह के 21 नाम हैं, जिनका जाप विशेष रूप से मंगलवार को करना चाहिए:
- मंगल
- भूमिपुत्र
- ऋणहर्ता
- धनप्रद
- स्थिरासन
- महाकाय
- सर्वकर्मविरोधक
- लोहित
- लोहिताक्ष
- सामगानां कृपाकर
- धरात्मज
- कुज
- भौम
- भूतिद
- भूमिनंदन
- अंगारक
- यम
- सर्वरोगापहारक
- वृष्टिकर्ता
- वृष्टिहर्ता
- सर्वकामफलप्रद
इन नामों का जाप कर्ज मुक्ति, आर्थिक समृद्धि, और रोगों से छुटकारा दिलाता है।
निष्कर्ष
ऋणमोचक मंगल स्तोत्र एक शक्तिशाली प्रार्थना है जो कर्ज, रोग, और मानसिक तनाव से मुक्ति दिलाती है। नियमित और श्रद्धापूर्ण पाठ से आप मंगल देव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन में समृद्धि और शांति ला सकते हैं। आज ही इस स्तोत्र का पाठ शुरू करें और अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव देखें।
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